हमें क्यों प्रकृति के नियमों के हिसाब से आहार और जीवनशैली अपनाना चाहिए?

Benefits of Diet and Lifestyle Which is As Per Nature’s Law: जिस हिसाब से आधुनिक युग में मरीजों की संख्या अथवा बीमारियां बढ़ रही हैं इससे तो अब यही लगता है कि दोबारा प्राकृतिक जीवन अर्थात हमारे पूर्वजों के द्वारा जीने जाने वाला जीवन ही जिया जाये। हमारे पूर्वजों द्वारा जिया जाने वाला जीवन पूरा का पूरा प्राकृतिक के नियमों के हिसाब से था, न सिर्फ खान-पान बल्कि जीवन शैली भी। आधुनिक युग में हमारा खान पान दूषित हो गया है व जीवन शैली ख़राब हो गयी है।

आजकल के खान-पान व जीवन शैली से ऐसी बीमारियां हो रही हैं जिनका पक्का इलाज बहुत मुश्किल हो गया है। कई बार तो इलाज के दौरान समाधान मिलने की बजाय हालत और बिगड़ जा रहे हैं। इससे तो एक ही बात पता लगती है कि एक बार कोई बड़ी बीमारी हो जाती है तो उसको बाद में बस मैनेज ही किया जा सकता है। बड़ी बीमारी का परमानेंट इलाज मिलना असंभव सा हो गया है। हमारे पूर्वज 100 में से 2-4% ही बड़ी बीमारी से पीड़ित होते थे, ज्यादातर तो दीर्घायु जीवन ही जीते थे। लेकिन आधुनिक युग में 100 में से 60% तो कहीं ना कहीं बड़ी बीमारी से ही पीड़ित है।(1) कोई हाइपरटेंशन, तो कोई डायबिटीज, तो कोई आई.टी.पी. आदि प्रकार की बीमारियों से पीड़ित है। इन सब का कारण तो एक ही है की हमने प्राकृतिक के नियमो को तोड़ के अपना खान-पान व जीवन शैली अपने हिसाब से कर लिया है। जो की प्रकृति के नियमों का उल्लंघन है जिसके कारण ही आधुनिक युग में मरीजों की संख्या अथवा बीमारियां बढ़ रही हैं।

अब आप ही सोचिये जैसे आप सड़क पर चलने के लिए ट्रैफिक के नियमों का पालन करते है और अगर ट्रैफिक के नियमों का पालन नहीं करते है तो उसका आपको कुछ न कुछ नुकशान भुगतना पड़ता है। उसी प्रकार धरती पर सरलता, सुखमय, स्वस्थ व दीर्घायु जीवन जीने के लिए प्राकृतिक के नियमो का पालन करना बहुत जरुरी होता है अन्यथा आप किसी न किसी बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। आप अपने आपको प्रकृति के हिसाब से चलाये न की प्रकृति को अपने हिसाब से चलने की कोसिस करें। हमारे पूर्वज प्रकृति के नियमों का पालन करते थे व धरती पर सरलता, सुखमय, स्वस्थ व दीर्घायु जीवन जीते थे। हमें भी आधुनिक युग में प्रकृति के नियमों का पालन करना चाहिए जिससे हमारा जीवन भी सरलता, सुखमय, स्वस्थ व दीर्घायु हो सके।

Reference:

  1. https://www.rand.org/pubs/articles/2017/chronic-conditions-in-america-price-and-prevalence.html#:~:text=It%20found%20that%2060%20percent,percent%20have%20more%20than%20one.

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