आजकल हम रोजाना देख रहे है की प्रदूषण की समस्या बहुत तेजी से फ़ैल रही है। लेकिन आप माने या न माने प्रदूषण की समस्या का कारण मानव ही है। मानव ने जब से अपना जीवन प्राकृतिक से अप्राकृतिक किया है तभी से प्रदूषण की समस्या तेज़ी से फ़ैल रही है। मानव ने जो इतना प्रदूषण फैला दिया है, उसका नुकसान खुद तो मानव भोग ही रहा है। अगर प्रदूषण की समस्या को मानव ने नहीं रोका तो इसका नुकशान उसकी आने वाली पीढ़िया भी भोगेंगी। तो चलिए इस ब्लॉग के माध्यम से जानें कैसे मानव द्वारा फैलाया हुआ प्रदूषण उसके आने वाली पीढियां के लिए काल बनने वाला है।
जैसे की आप सभी जानते है कि धरती का मानव पांच तत्वों से ही बना है – मिट्टी (मृदा), वायु (हवा), पानी (जल), अग्नि, और आकाश। मानव ने जो प्रदूषण फैलाया है वह है – मृदा प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, आदि। इस प्रकार आप देख रहे है की मानव जिन तत्वों से बना है, उन्ही तत्वों को प्रदूषित कर दिया है। मानव जिन तत्वों से बना है अगर उनमे प्रदुषण होगा तो मानव के शरीर में भी प्रदुषण होगा ही होगा, क्योकि मानव इन्ही तत्वों से बना है। अगर मानव शरीर में भी प्रदूषण होगा तो उसको अनेकों बीमारियां होने की संभावना रहेगी, और आपने तो देखा ही है की आजकल बीमारियाँ भी बढ़ गयी है और लोग भी बहुत बीमार होने लग गए है। इन सब बीमारियों का कारण कही न कही मानव द्वारा फैलाया हुआ प्रदूषण भी है।
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वैसे तो प्रकृति खुद ही अपने आप को स्वस्थ रख सकती है, लेकिन अपने आप को स्वस्थ रखने के लिए प्रकृति को इस धरती से मानवों को हटाना पड़ेगा जैसे कि कोविड लॉकडाउन में हुआ था। कोविड लॉकडाउन में मानव घर के अंदर था, तो प्रकृति ने अपने आप को खुद ही प्रदूषण से मुक्त किया कर लिया था। क्योंकि प्रदूषण की समस्या का कारण मानव ही है। मानव के घर में बंद रहने की वजह से प्रकृति में प्रदुषण नहीं फैला और जो प्रदुषण प्रकृति में पहले से मौजूद था, उसको प्रकृति ने आसानी से खत्म कर दिया।
दोस्तों यदि आप चाहते हैं कि आप स्वस्थ रहें तो आपको प्रकृति को स्वस्थ रखना पड़ेगा इसके लिए आपको प्रदुषण फैलाना बंद करना पड़ेगा। यदि आपको प्रदूषण रोकना नहीं आता तो आप अपने पूर्वजों से प्रदूषण को रोकने के बारे में सीख सकते है। क्योंकि आपके पूर्वज प्रदुषण मुक्त जीवन जीते थे और प्रकृति को भी प्रदुषण मुक्त रखते थे। जिस कारण आपको स्वच्छ व प्रदूषण मुक्त वातावरण मिला है। यदि उन्होंने भी आपकी तरह अप्राकृतिक जीवन जिया होता और प्रकृति में प्रदूषण फैलाया होता तो आज आप जो थोड़ा बहुत स्वस्थ, इतना भी स्वस्थ नहीं रहते। इसलिए आप अपने पूर्वजो की तरह प्राकृतिक जीवन जीने के बारे में जानें और फिर प्राकृतिक जीवन ही जीना शुरू करें नहीं तो जिस तेज़ी से आप प्रदुषण फैला रहे है आपकी आने वाली पीढियां के लिए ये काल ही बन जायेगा। क्योकि चारों तरफ प्रदूषित वातावरण होगा तो आपकी आने वाली पीढ़ियों के शरीर में भी प्रदुषण चला जायेगा, जिस के कारण आपकी आने वाली पीढ़ियों को किसी भी प्रकार की बीमारी किसी भी समय हो सकती है। आपकी आने वाली पीढ़ियों को अपना स्वास्थ्य को बनाये रखना मुश्किल हो जायेगा। आपकी आने वाली पीढियां प्रदुषण के कारन स्वस्थ व दीर्घायु जीवन नहीं जी पाएंगी।
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अतः आप अपने पूर्वजों के बताये हुए मार्ग पर चलें और प्रकृति को स्वस्थ रखें और खुद भी स्वस्थ रहें। जिससे आपका जीवन भी सरलता से चलता रहे और आपकी आने वाली पीढ़ियों को भी कोई नुकसान न पहुंचे।
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